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   सीए का काम छोड़ राजीव कमल ने शुरू की खेती, कमाते हैं 50 लाख सालाना
 ''राजीव को लगा कि जो किसान हमें अनाज मुहैया कराते हैं उन्हें हम इस तरह नजरअंदाज नहीं कर सकते। ऐसे में उन्होंने फैसला किया, कि वो किसानों को उनकी जिंदगी की कीमत समझाने का काम करेंगे''।


जिन लोगों ने कॉमर्स स्ट्रीम से पढ़ाई की होती है उनमें से अधिकतर का सपना होता है कि वे सीए बनें, लेकिन यह परीक्षा इतनी कड़ी और लंबी होती है कि हर कोई इस परीक्षा को पास नहीं कर पाता। इसे पास करने के लिए काफी मेहनत की जरूरत होती है, लेकिन झारखंड के रहने वाले सीए राजीव कमल बिट्टू ने ट्रेंड ही बदल दिया। उन्होंने सीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद इस पेशे को छोड़कर खेती-किसानी के काम में लग गए। आज वह रांची के ओरमांझी ब्लॉक में खेती कर रहे हैं। वह भी लीज पर। वह अपनी खेती से लगभग 50 लाख सालाना की इन्कम भी कमा लेते हैं।

वह बताते हैं कि खेती ने उनकी जिंदी बदल दी है। उन्होंने कहा, 'मैं रांची में रहता हूं और यहां से रोज 28 किलोमीटर दूर अपने खेतों तक जाता हूं। सीए करने के बाद जब नौकरी करने की बारी आई तो मुझे लगा कि मैं चहारदीवारी में खुद को कैद करके नहीं रख सकता हूं\, इसीलिए मैं खेती कर रहा हूं।' 2013 का साल बिट्टू के लिए काफी बदलाव वाला साल था। उस साल जब राजीव अपनी तीन साल की बेटी के साथ बिहार के गोपालगंज में स्थित अपने गांव गए तो देखा कि उनकी बटी गांव वालों के साथ घुलमिल गई है और काफी खुश भी है। लेकिन उन्हें आश्चर्य हुआ जब एक किसान ने उनकी बेटी को अपने गोद में लेना चाहा.

 बिहार में शुरुआती पढ़ाई करने के बाद राजीव को झारखंड भेज दिया गया। वह हजारीबाग के एक स्कूल में सरकारी हॉस्टल में रहा करते थे। उसके बाद वह आगे की पढ़ाई करने के लिए रांची चले गये।


 1996 में 12वीं करने के बाद उन्होंने आईआईटी की कोचिंग जॉइन की, लेकिन परीक्षा पास नहीं कर सके। इसके बाद उऩ्होंने रांची में ही बी.कॉम. में दाखिला ले लिया। उसी साल उन्होंने सीए में भी एनरोलमेंट करवा लिया। वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी जुड़े और समाज के अच्छे कामों के साथ-साथ पर्यावरण बचाने की रैलियों और पौधरोपण में भी हिस्सा लेते रहे। इस समय वह आरएसएस के प्रांत सह संपर्क प्रमुख हैं। वह अंकुर रूरल एंड ट्राइबल डेवलपमेंट सोसाइटी नाम से एक एनजीओ भी चलाते हैं जो किसानों और ग्रामीणों की मदद करता है।


2003 में सीए की परीक्षा पास करने के बाद राजीव ने रांची में ही 5000 रुपये के मासिक किराए पर 150 वर्ग फीट का एक कमरा लिया और सीए की प्रैक्टिस करने लगे। वह हर महीने 40,000 रुपये के आसपास कमा लेते थे। 2009 में उन्होंने प्लास्टिक इंजिनियर रश्मी सहाय से शादी कर ली। उसके बाद बेटी के व्यवहार के चलते उन्होंने खेती करने के बारे में सोच लिया था। वह खेती से जुड़ी हुई तमाम जानकारियां जुटाने लगे। वह कई सारी यूनिवर्सिटी के कृषि विभाग में गए वहां के प्रोफेसरों से मदद और सलाह मांगी। वह लोकल किसानों के पास भी गए और उनसे खेती के गुर सीखे।



 



 राजीव ने रांची से 28 किलोमीटर दूर एक गांव के किसान से उसकी दस एकड़ जमीन लीज पर ले ली। लेकिन शर्त थी कि वह पूरे प्रॉफिट का 33 प्रतिशत उस किसान को देंगे। राजीव ने उस साल लगभग 2.50 लाख रुपये खेती पर खर्च कर दिए। उन्होंने ऑर्गैनिक तरीके से लगभग 7 एकड़ में तरबूज और खरबूजे की खेती की। काफी मेहनत के बाद जनवरी के अंत में उनकी फसल तैयार हो गई और लगभग 19 लाख में बिक भी गई। उन्हें इससे लगभग 7-8 लाख का फायदा हुआ। इससे राजीव का हौसला बढ़ा और वह खेती के नए-नए प्रयोग करने लग गए। उनके फार्म में लगभग 45 मजदूर काम करते हैं।
 उन्होंने उसी गांव में 13 एकड़ और जमीन लीज पर ली और वहां भी खेती करने लगे। 2016 के अंत में उन्होंने इसी खेती से लगभग 40-45 लाख का कारोबार किया। उन्होंने हाल ही में कुचू गांव में तीन एकड़ जमीन और लीज पर ली है जहां वे सब्जियां उगाते हैं। राजीव का लक्ष्य सालाना 1 करोड़ का टर्नओवर करने का है। हालांकि बाढ़ और सूखे जैसे हालात मकी चिंता उन्हें हमेशा रहती है क्योंकि इससे खेती को काफी नुकसान पहुंचता है और अचानक से सारी मेहनत पर पानी फिर जाता है। राजीव के इस काम में उनके दो साथई देवराज (37) और शिव कुमार (33) भी हाथ बंटाते हैं।


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                                                                                                                                 By:Vikash Rahii


Real tallent Real tallent Reviewed by biharishayar on August 24, 2017 Rating: 5

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